फ़िल्म के डबिंग चल रहे। असिस्टेंट डायरेक्टर डायरेक्टर लागे बोलल –
“डबिंग त पूरा हो गइल। बस एगो दिवाली के सीन खातिर लड़ी बम के आवाज़ रिकार्ड करे के बा। ऊ कैसे होई? पटाखा त सारा दिवालिये में खतम हो गइल।”
“डायरेक्टर – ओकर इन्तजाम हम कर देब।”
“कैसे?”
“पहिला त बतिया बुता द।”
“ठीक बात बा। दिवाली त रात के त्योहार न बा?”
“दूसरा तनी रैकेट ले के आव।”
“रौकेट? पटाखा त सब खतम हो गइल।”
“रौकेट नहीं रैकेट।”
“बैडमिंटन के कि टेनिस के?”
“नहीं मच्छर मारे के।”
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